मंगलवार, फ़रवरी 16, 2010

जेहाद इस्लाम और हिंदुत्व

जेहाद का सही अर्थ मै आज तक नहीं समझ पाया और नहीं जेहाद के नाम पर हिंसां फैलाने वालों का सही स्वरुप ही . कुरान हदीस में इस पर कितनी लम्बी व्याख्या की गयी है उस पर मैं नहीं जाना चाहता और नहीं कोई टिपण्णी करना चाहता हूँ लेकिन इन तथाकथित मुल्लाओं ने जेहाद का जितना विकृत रूप दुनिया के सामने रखा है उसने मुस्लिमो को आतंकवादी और इस्लाम को इसका पोषक बना दिया है . क्या जेहाद का सही अर्थ यही है ??? शायद इसका उत्तर न भी हो सकता है ... क्या आप बताएंगें तथाकथित उल्लेमाओं ???? जेहाद का नाम आते ही कश्मीर में मार दिए गए लाखों निर्दोष दीखते है ?? तालिबान दिखता है ?? इस्लाम और जेहाद के तिलिस्म में टूटता पाकिस्तान दिख रहा है ?? और सबसे बड़ी बात इस्लाम के तथाकथित रक्षकों ,पूरी दुनिया में इसके नाम पर हिंसा फैलाने वालों, इस्लाम के नाम से आतंकवाद जुड़ रहा है .
मैं इस्लाम को सबसे प्रगतिशील धर्म मानता हूँ लेकिन इन धर्मगुरुओं के कट्टरता, मेरे विचारो पर पूर्णविराम लगाने के लिए काफी है.मेरे मन में इस्लाम के प्रति कोई पूर्वाग्रह नहीं है. बस यह वह सोच है जो पूरी दुनिया में एक गैर मुस्लिम सोच रहा है. मैं भी एक उदारवादी सनातनधर्मी हूँ लेकिन इससे पहले भारतीय हूँ जिसे ईश्वर पर अगाध आस्था है, लेकिन इन तथाकथित धर्मगुरुओं के कारण नहीं. खुद के विवेक से ...अंध भक्ति से नहीं. मैं पिछले कई दिनों से काफी व्यथित था मीडिया मै कई दिनों से ठाकरेपरिवार अपने उलटे सीधे वक्तव्यों से भाषाई विवाद और देश को तोड़ने की पूरी नाकाम साजिश रच रहे है और हम इन्हें जगह दे रहे है यह हमरी नासमझी, नहीं तो और क्या है ..?
कुछ समय पहले पत्रकार जैदी और जनरैल सिंह ने बुश और गृहमंत्री पर जूता फेककर अपना विरोध जताया था . मैं भी रोज सपने में "ठाकरे " और उन सभी तथाकथित धर्म के नाम पर लड़ाने वालो को सपने जूता मारता रहता हूँ.. मेरा व्यथित मन हमेशा धार्मिक स्थलों पर एकत्रित हुए जूतों को कट्टर हिंदुत्व के पोषक ,रक्षक बने लोगो पर फेककर खुश होता है.
आज हिंदुत्व में भी जेहाद का नया स्वरुप पनप रहा है और मुंबई में तालिबान .और इस तालिबानी साम्राज्य के पोषक बने बैठे है तथाकथित हिन्दू धर्मपालक बाल ठाकरे और इनके गुर्गे,चमचे. हिंदुत्व कभी हिंसा फैलाने का जरिया नहीं हो सकता और न ही दो सम्प्रदायों, धर्मो ,व्यक्तियों व समाज को तोड़ने का उपक्रम कर सकता है. आज क्षेत्रवाद के नाम पर भाषा के नाम पर, जाती, धर्म और मज़हब के नाम पर, लोगो को तोड़ने वाले शिवसेना के लोगो तुम कमसे कम हिन्दू नहीं हो सकते ? तुम सनातनी नहीं हो सकते ?? तुम हो हिन्दू जेहाद के नए स्वरूप और मुंबई पर तालिबान की तरह हक जतानेवाले नए उसामा बिन लादेन .
आज मै इस ब्लॉग के माध्यम से उन सभी लोगो से आह्वान करता हूँ जिन्हें शिवसेना में अलकायदा का ही एक रूप दीखता है यहाँ आयें टिपण्णी लिखे और प्रतिक के रूप में एक जूता मारे.
आपका इडियट

शुक्रवार, फ़रवरी 12, 2010

भविष्य जाने

चलिए इडियट अपने इस नए ठिकाने पर आपको कुछ नया बताएगा... जानना चाहेंगे आप ???तो आये जुड़ें... आपके विचारो को सूक्ष्म मनोवैज्ञानिक विश्लेषण,कुछ ज्योतिषिये गणित गणना से,न्युमेरोलोजी के सहारे तो,कुछ अपने इडियट प्रश्न के जरिये.. चाहते है जानना आप अपने भूत, भविष्य और वर्तमान के बारे में तो भेजिए इस ब्लॉग के जरिये खुद के कुछ विवरण
नाम --अंग्रेजी लैटर में
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(सूर्य,चंद्रमा, तारे, धरती, आकाश, पौधे, नदी, समुद्र,पहाड़, हवा )
इस पते पर मेल भी कर सकते है --pathak.gaya@gmail.com

सोमवार, फ़रवरी 08, 2010

पथिक

कई दिन हो गए किन्तु व्यस्तताओं की वजह से कुछ लिख नहीं पाया .... मेरे छोटे भाई अनिश पाठक ने 2002 में एक कविता लिखी थी जो मुझे बहुत पसंद है... मुझे लगा आपके सामने रखूं..... आज आपके सामने है यह कविता ... यह कविता तब लिखी गयी थी जब भाई जल सेना की नौकरी छोड़कर आने के पश्चात, कुंठित हो मानसिक रूप से काफी विचलित था ...ये प्रेरणास्पद कविता मुझे बहुत पसंद है शायद आपको भी भाए......

भटक गए क्यों ? राही बोलो
नूतन पथ पर आकर,
हार गए क्यों ? राही बोलो
मंजिल लम्बी पाकर.
क्या तुमने देखा है ? आगे
भाग रहे है राही,
थके नहीं वे फिर भी अबतक
हटे नहीं घबराकर.
उस नन्ही पिपली को देखो
जो चढ़ती भित्ति पाकर,
डिग जाते यदि पावं उसके
फिर चढ़ती नीचे आकर.
बढ़ती रहती सदा निरंतर
नदियाँ निर्झर, निश्चल,
आ जाये अवरोध राह में
पर हार न माने चंचल.
क्या तुमने देखा है राही ?
लौटी ये आगे जाकर !
फिर बैठ गए तुम बोलो कैसे ?
राह अकेली पाकर.
ये पथिक तुम तो श्रेष्ठ हो
क्या मिलती तुमको राह नहीं ?
भटक गए यदि राह अगर तो
क्या पाने की तुममें चाह नहीं ?
उठो पथिक तुम बढे चलो
और ढूढ़ों राह निरंतर
दूर करो अँधियारा मन का
जैसे नभ में करे सुधाकर.