बहन अनु मेरे लिए शब्द गूथने की एक कड़ी हो तुम.....!!! अरसे बाद आज इस ब्लॉग पर दुबारा लिखने की शुरुआत भी इसी के प्रेरणा से …
मौका था भावुक मन के चितेरे कवि सुरेश चन्द्रा जी के जन्मदिन का..... उसी के बधाई स्वरुप लिखी इस चंद पंक्ति का थोड़ा विस्तारीकरण है यहाँ में।
क्या लिखू
शब्द लिखूं
गद्य लिखूं
सच लिखूं
यक्ष लिखू
गीत लिखूं
लफ्ज लिखू
शेष लिखूं
अशेष लिखूं
ख़ुशी लिखूं
हँसी लिखूं
उम्र लिखूं
ताउम्र लिखू
भाव लिखूं
आव लिखू
प्रीत लिखूं
प्यार लिखूं
मीत लिखूं
रीत लिखूं
धुन लिखूं
गुण लिखू
देव लिखूं
दास लिखूं
शील लिखूं
भील लिखू
इंद्र का दरबार लिखूं
गीता का सार लिखू
वीणा का तार लिखूं
बांसुरी का रंध्र लिखूं
गोविन्द का छंद लिखूं
मौला का मकरंद लिखूं
राधा का रास लिखूं
मीरा की आस लिखूं
साँस लिखूं
खास लिखूं
पाश लिखूं
काश !!लिखूं...!!!
गद्य लिखूं
सच लिखूं
यक्ष लिखू
गीत लिखूं
लफ्ज लिखू
शेष लिखूं
अशेष लिखूं
ख़ुशी लिखूं
हँसी लिखूं
उम्र लिखूं
ताउम्र लिखू
भाव लिखूं
आव लिखू
प्रीत लिखूं
प्यार लिखूं
मीत लिखूं
रीत लिखूं
धुन लिखूं
गुण लिखू
देव लिखूं
दास लिखूं
शील लिखूं
भील लिखू
इंद्र का दरबार लिखूं
गीता का सार लिखू
वीणा का तार लिखूं
बांसुरी का रंध्र लिखूं
गोविन्द का छंद लिखूं
मौला का मकरंद लिखूं
राधा का रास लिखूं
मीरा की आस लिखूं
साँस लिखूं
खास लिखूं
पाश लिखूं
काश !!लिखूं...!!!
वाह भैया!
जवाब देंहटाएंअभी पहुंचे यहाँ...!
कितना सुन्दर... यूँ सहेजने के लिए शुक्रिया !!!
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