सोमवार, मई 25, 2015

वामियनों के देश में प्रेम

यह कविता इस लिए लिखी गयी क्योंकि प्रेम और शील वाले देश भारत में... स्नेह और सौहार्द वाले इस मुल्क में अब सर्वाधिक पहरा प्रेम करने वालों पर है. अपने पुरातन मूल्य, धार्मिक आख्यानों का हवाला देकर जो तांडव करते है वो निरंतर प्रगति वाले मुल्क के लिया अच्छा नहीं है.. विकाश और बदलाव साथ साथ हमें भी अपने विचारों से और उदार होना चहिये। 
ऐ सुनो..!!   
नए हो ..?? नहीं ..!!
हाथ में ..चमकती पन्नियों में 
क्या है तेरे पास ..??
दिखाओं...??
लाल गुलाब ...!!!
मार दिए जाओगे...
काट दिए जाओगे...
टाँग देगें तुझे ...!
हदीस का हवाला देकर
सरेआम ...!!
देश में उसेमाओं ..उल्लेमाओं ने
लोगों के हाथों में लाल कटारे थमा रखी है..
रक्तरंजीत---!!
प्रेम है इन्हें सिर्फ अदम से..
वहशीपना से...सनकीपना से..
वन..बन्दूक..तलवारों से...
इल्म है इन्हें इत्लाफ़ से सिर्फ..
जाओं,भागों यहाँ से
प्रेम का गुलाब...!!
अमन का आंदोलन...!!
प्यार की ख़ुशबू...!!
बंद है "वामियानो"के देश में ...!!
"बजरंगियों" के देश में ...!!
"दामनियों" के देश में ..!!
हाँ ..!!
जानता हूँ भाई....
तो क्यों .. आये हो मरने ..?
मरने नहीं ...!! मारने आया हूँ..
मुल्क के अबाबिलों को
इन लाल गुलाबों से
इनकी मादक सुगंध के नशे में
कहाँ रह पायेगा प्रेम का काफ़िर कोई ..??
खेतों में लहलहाता गुलाब चाहता हूँ..
फूलों का मुस्काता मिज़ाज चाहता हूँ ..
प्रेम में रीता भींगा तन मन चाहता हूँ..
पग पग दिखता अमन चाहता हूँ..
अच्छा ...!!!
तुम सपने बेचते हो ..??
बेचोगे यहाँ ...???
दुकानें बंद है सपनों की यहाँ..
मोटी हदीस के जंजीरों से..
जालों का संसार है यहाँ वर्षों से..
सपने देखोगे ...!!
तो चाक दिए जाओगे
ख़ाक दिए जाओंगे
अंतिम बार कहता हूँ ...
चले जाओं यहाँ से ...
.........................
.........................
सन्नाटा..
एक शान्ति
रोज़ रोज़ मरने से अच्छा है-
आज मर जाना ..काफ़िर बनकर
सपने और प्रेम की ख़ातिर...!!!

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