कोई ख्वाव हूँ मैं सुनहरा सा ,
कुछ अच्छा सा कुछ बच्चा सा
दूर चमकते तारो का, नभ में फैले अरमानो का
अरदास मैं ठहरा कच्चा सा
कुछ छोटा सा कुछ बच्चा सा.........
मिटटी से तेरे संबंधो का, यायावर होते जीवन का
मंदिर में बजते घंटो का, हाथ जोड़े परिंदों का
दुश्मन ठहरा मैं बच्चा सा........
कुछ अच्छा सा, कुछ कच्चा सा
चली चांदनी दो कदम,धुप चली जब मीलों तक
तब तेरी लरजती गीतों का, गायक मैं ठहरा कच्चा सा
कुछ छोटा सा कुछ बच्चा सा.........
गीतों की मधुशाला पा
मदमस्त हुआ ये "बच्चन" सा
हाला पीकर मै तनहा
नाच रहा मै पगला सा
कुछ अदना सा कुछ छोटा सा.........
achha likha hai
जवाब देंहटाएंbadhai...
हिंदी ब्लाग लेखन के लिये स्वागत और बधाई । अन्य ब्लागों को भी पढ़ें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देने का कष्ट करें
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव लिए
जवाब देंहटाएंबहुत खुसुरत रचना
बहुत बहुत आभार
सुंदर रचना !!
जवाब देंहटाएंजरूर मिलेंगे जी !
जवाब देंहटाएंस्वागतम !!
कृ्पया शब्द पुष्टिकरण हटा दीजिये ।
इस नए ब्लॉग के साथ आपका हिन्दी ब्लॉग जगत में स्वागत है .. आपसे बहुत उम्मीद रहेगी हमें .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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